मेरे शुभचिंतक और समालोचक जिनके विश्वास एवं संबल पर मैं यहाँ लिख पा रहा हूँ!

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Monday, July 5, 2010

डण्डा के बल पर भारत बन्द!


डण्डा के बल पर भारत बन्द!

जयुपर से डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
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इस बात में कोई दो राय नहीं है, कि इस देश के भ्रष्ट एवं कुलीन वर्ग के अलावा, देश का हर व्यक्ति मंहगाई से त्रस्त है। इसलिये मंहगाई के खिलाफ भारत बन्द या किसी भी जनान्दोलन में भाग लेने में किसी को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन राजस्थान में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी एवं भाजपा के सहयोगी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, शिव सेना आदि की गुण्डागर्दी तथा बेहयाई के कारण आम लोगों का भारत बन्द करने का उत्साह किरकिरा हो गया।


मैंने व्यक्तिगत रूप से एवं मोबाइल पर अनेकों लोगों से बात की, उनका कहना है कि मंहगाई के विरुद्ध भारत बन्द का हम समर्थन करते हैं, लेकिन भाजपा एवं भाजपा के सहयोगियों द्वारा डण्डे के बल पर भारत बन्द करवाने, लोगों से मारपीट करने और हिंसा पर उतारू होने के कारण हम दुखी हैं। लोगों का साफ शब्दों में कहना है कि भारत बन्द को भाजपा अपनी सफलता बतलाना चाहती है, जबकि यह भारत के लोगों का बन्द है, न कि भाजपा का। अनेक लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि महाराष्ट्र में जिस प्रकार से शिवसेना एवं मनसे की गुण्डागर्दी चल रही है, भारत बन्द के बहाने राजस्थान में भाजपा भी वैसा ही आतंक कायम करना चाहती है।

मेरे सामने अपने आप को निष्पक्ष कहने वाले टीवी चैनलों के प्रतिनिधियों से जनता ने आग्रह किया कि भाजपा के गुण्डों की गुण्डागर्दी को टीवी पर दिखाया जावे, लेकिन किसी ने भी इसमें रुचि नहीं ली। इससे लगता है कि मीडिया का भी भारत बन्द एवं भाजपा को भारत बन्द का श्रेय दिलाने में पूरा-पूरा योगदान है। सबसे दुःखद बात तो यह है कि स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन नपुंसक सा भाजपा एवं भाजपा के सहसयोगी संगठनों के मनमाने कारनामों का यह नजारा देखता रहा। पुलिस की स्थिति को देखकर तो लगता ही नहीं कि राजस्थान में काँग्रेस का शासन है।
कुछ भी हो लेकिन आम व्यक्ति मंहगाई के खिलाफ एकजुटता से लामबन्द होने को तैयार है। दुःख है तो इस बात का कि यह बन्द भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में पूर्ण हो रहा है, जिसे आम व्यक्ति दुःखद मानता है। दुःखद मानने का कारण है, इनकी आतताई एवं गुण्डई प्रवृत्ति।

-लेखक जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र प्रेसपालिका के सम्पादक, होम्योपैथ चिकित्सक, मानव व्यवहारशास्त्री, दाम्पत्य विवादों के सलाहकार, विविन्न विषयों के लेखक, कवि, शायर, चिन्तक, शोधार्थी, तनाव मुक्त जीवन, लोगों से काम लेने की कला, सकारात्मक जीवन पद्धति आदि विषयों के व्याख्याता तथा समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार और गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध राष्ट्रीय स्तर पर संचालित संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। जिसमें 4344 रजिस्टर्ड आजीवन कार्यकर्ता देश के 17 राज्यों में सेवारत हैं। फोन नं. 0141-2222225 (सायं 7 से 8 बजे के बीच)।
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
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