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Friday, February 10, 2012

क्या 2012 में ही फिर से यूपी में चुनाव होंगे?

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’

पॉंच राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों में सर्वाधिक चर्चा यूपी अर्थात् उस उत्तर प्रदेश की ही हो रही है, जिसको चार भागों में बॉंटने के बाद मायावती इसका नाम ही समाप्त कर देना चाहती हैं| जिन प्रस्तावित चार प्रान्तों में यूपी को विभाजित करने की मायावती की योजना है, उनमें यूपी का कहीं नाम ही नहीं है| यह तो एक अलग विषय है, लेकिन यूपी के चार में से कम से कम दो राज्यों पर अनन्त काल तक शासन करते रहने की तमन्ना पूरी करने की खातिर यूपी के चार टुकड़े करने की इच्छुक बसपा सुप्रीमों की बसपा के यूपी सहित हर राज्य में बार-बार टुकड़े होते रहे हैं| इसके उपरान्त भी बसपा का अस्तित्व आज भी कायम है| शायद इसलिये भी यूपी के टुकड़े करने की प्रस्तावित योजना में मायावती को खतरा कम और लाभ अधिक दिख रहा है| ये अलग बात है कि मायावती ने यूपी को विभाजित करने का दांव केवल राजनैतिक चातुर्य दिखानेभर को चला है, जो उनकी ओर से यूपीए की कॉंग्रेस नीत केन्द्र सरकार को और लोकसभा में प्रतिपक्ष भारतीय जनता पार्टी को मतदाता के समक्ष कटघरे में खड़ा करने के लिये फेंका गया था, लेकिन विधानसभा चुनावों में खुद मायावती ही इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाने में पूरी तरह से असफल रही हैं| या उनको अपनी गलती का अहसास हो गया लगता है!