मेरे शुभचिंतक और समालोचक जिनके विश्वास एवं संबल पर मैं यहाँ लिख पा रहा हूँ!

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Tuesday, August 14, 2012

पाकिस्तान में हिन्दू स्त्रियों का बलात्कार और भारत की चुप्पी के मायने?

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
1-भारत सरकार का ये नैतिक, मानवीय, धार्मिक, राष्ट्रीय, संवैधानिक और वैश्‍विक फर्ज है कि वह अपने स्तर पर कूटनीतिक प्रयासों के जरिये पाकिस्तान की सरकार को कड़ा सन्देश दे कि मानवता का मजाक उड़ाने वाले और हिन्दू बहन-बेटियों के साथ कुकर्म
करने वाले नापाक वहशी दरिन्दों को कड़ी सजा दी जाये और पाकिस्तान के सभी हिन्दुओं को सम्पूर्ण सुरक्षा मुहैया करवायी जाये, अन्यथा इससे जहॉं एक ओर दोनों देशों के रिश्तों में खटाश तो आयेगी ही, साथ ही साथ भारत इस प्रकार के मामलों को चुपचाप नहीं देखेगा।
2-मीडिया के मार्फ़त जो खबरें आ रही हैं, उनसे पता चलता है कि इतनी भयानक स्थितियॉं पैदा हो चुकी हैं कि पाकिस्तान के हिन्दू परिवार भारत में शरण प्राप्त करने को विवश हो गये हैं। जिस पर भारत के इस्लामिक धर्मगुरुओं की ओर से रमजान के पवित्र महिने में चुप्पी साध लेना किस बात का संकेत देती है?
अमेरिका जो संसार के किसी भी देश के किसी भी कौने में अपनी दादागिरी करने पहुँच जाता है, उसे ये घटनाएँ क्यों नहीं दिख रही हैं? यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है और भारत को विश्‍व मंचों पर इस बात को अमेरिका के खिलाफ उपयोग में लाना चाहिये।
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भारत और पाकिस्तान अपनी आजादी का जश्‍न मानने में मशगूल हैं और पाकिस्तान में आये दिन हिन्दू लड़कियों और औरतों के साथ हिन्दू होने के कारण ‘‘बलात्कार’’ किये जाने की खबरें, मीडिया के माध्यम से लगातार आती रहती हैं। जिस पर भारत सरकार की ओर से ऐसा कोई ठोस कूटनीतिक कदम सार्वजनिक रूप से नहीं उठाया गया है, जिससे देश के आम इंसाफ पसन्द लोगों को और विशेषकर हिन्दुओं को इस बात का अहसास हो सके कि भारत सरकार को विदेशों में बसने वाले हिन्दुओं की भी चिन्ता है! यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण और दु:खद है, जिसकी तीखे शब्दों कड़ी निन्दा और भर्त्सना की जानी चाहिये।

हम सभी भारतीय और पाकिस्तानी लोग इस बात को ठीक से जानते हैं कि विभाजन के समय दोनों राष्ट्रों के तत्कालीन कर्ताधर्ताओं की ओर से सार्वजनिक रूप से गारण्टी दी गयी थी कि विभाजन के बाद अपने-अपने नागरिकों के बीच सरकारों द्वारा धर्म के आधार पर या अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जायेगा और सभी को अपने-अपने दीन-ईमान-धर्म का अनुसरण और पालन करने की सम्पूर्ण आजादी होगी। सभी को बिना किसी भेदभाव के पूर्ण सुरक्षा प्राप्त होगी। इसके बावजूद दोनों ही देशों में अनेकों बार इस घोषणा का उल्लंघन किया गया है।

वर्तमान में पाकिस्तान में हिन्दू धर्मानुयाईयों की बहन बेटियों की इज्जत के साथ केवल इस कारण कि वे हिन्दू हैं, सरेआम खिलवाड़ किया जाना ‘इस्लाम’ और ‘हिन्दू’ दोनों ही धर्मों के मूल सिद्धान्तों के विपरीत है। यही नहीं ये कुकृत्य संसार के सभी राष्ट्रों द्वारा स्वीकृत और सभी पर लागू मानव अधिकारों की संधियों के भी विपरीत है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इस प्रकार की घटनाएँ समाज में वैमनस्यता और दुराग्रहों को जन्म देती हैं। जिससे आहत धर्म के अन्य लोगों में भी स्वाभाविक तौर पर गुस्सा भड़कता है, जिसमें हिंसा और आगजनी जैसी घटनाएँ हो सकती हैं। कुछ घटिया किस्म के लोग ऐसे माहौल का लाभ उठाकर लोगों के बीच दूरियॉं पैदा करने के प्रयास करते हैं। ऐसे में अनेक निरीह प्राणी असमय काल के गाल में समा जाते हैं। जिसके चलते समाज में साम्प्रदायिक माहौल खराब होता है। लोगों के बीच धार्मिक दीवारें खड़ी हो जाती हैं!

मीडिया के मार्फ़त जो खबरें आ रही हैं, उनसे पता चलता है कि इतनी भयानक स्थितियॉं पैदा हो चुकी हैं कि पाकिस्तान के हिन्दू परिवार भारत में शरण प्राप्त करने को विवश हो गये हैं। जिस पर भारत के इस्लामिक धर्मगुरुओं की ओर से रमजान के पवित्र महिने में चुप्पी साध लेना किस बात का संकेत देती है? मॉं-बहन किसी की भी हों, उनकी रक्षा करना केवल दीन, धर्म या मजहब को मानने वालों के लिये ही नहीं, बल्कि इंसानियत में आस्था रखने वाले हर एक इंसान का फर्ज है! जिस पर किसी की भी चुप्पी का अर्थ है, इंसानियत को नंगा होते हुए देखकर भी चुप्पी साध लेना या उनके इंसानी जेहन का मर जाना। मानवीय संवेदनशीलता का समाप्त हो जाना और नापाक एवं वहशी ताकतों के समाने घुटने टेकना और उनको खुला समर्थन देना।

फिर से इस बात को दौहराना जरूरी है कि भारत सरकार का ये नैतिक, मानवीय, धार्मिक, राष्ट्रीय, संवैधानिक और वैश्‍विक फर्ज है कि वह अपने स्तर पर कूटनीतिक प्रयासों के जरिये पाकिस्तान की सरकार को कड़ा सन्देश दे कि मानवता का मजाक उड़ाने वाले और हिन्दू बहन-बेटियों के साथ कुकर्म करने वाले नापाक वहशी दरिन्दों को कड़ी सजा दी जाये और पाकिस्तान के सभी हिन्दुओं को सम्पूर्ण सुरक्षा मुहैया करवायी जाये, अन्यथा इससे जहॉं एक ओर दोनों देशों के रिश्तों में खटाश तो आयेगी ही, साथ ही साथ भारत इस प्रकार के मामलों को चुपचाप नहीं देखेगा।

अमेरिका जो संसार के किसी भी देश के किसी भी कौने में अपनी दादागिरी करने पहुँच जाता है, उसे ये घटनाएँ क्यों नहीं दिख रही हैं? यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है और भारत को विश्‍व मंचों पर इस बात को अमेरिका के खिलाफ उपयोग में लाना चाहिये। इस सबके साथ-साथ भारत के आम लोगों को भी जहॉं एक ओर तो संयम और सौहार्द को बनाये रखना होगा, वहीं दूसरी ओर भारत सरकार को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने के लिये मजबूर करना होगा! प्रतिपक्षी दलों को भी एकजुट होकर इस मामले को संसद में पूरी ताकत के साथ उठाना चाहिये। भारत की महिला संगठनों और मानव अधिकारों के लिये काम करने वाले संगठनों तथा लोगों को भी इस मामले में संज्ञान लेकर इसे उचित मंचों पर उठाना चाहिये। लेकिन इस बात की सावधानी बरती जाने की भी अत्यधिक जरूरत है कि इस मामले को भारत के कुछ दुष्ट प्रकृति के साम्प्रदायिक लोग वोट बैंक बनाने के लिये इस्तेमाल नहीं करने पायें।

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