मेरे शुभचिंतक और समालोचक जिनके विश्वास एवं संबल पर मैं यहाँ लिख पा रहा हूँ!

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Wednesday, December 18, 2013

पूर्व जस्टिस गांगुली मामले में कानून का मजाक उड़ाया जा रहा है!

इस अत्यन्त अम्भीर और संवेदनशील मामले को सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ सभी दलों के राजनेताओं, महिला संगठनों और मीडिया द्वारा जितने हल्के से लिया जा रहा है, वह अपने आप में घोर आश्‍चर्य का विषय है! सच तो ये है कि हर ओर सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक अवमानना का भय व्याप्त है, इस कारण कोई भी खुलकर बोलने या सच को कहने, लिखने या दिखाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इसलिये इस बारे में कुछ कानूनी और व्यवस्थागत पहलुओं पर को जानने और समझने के बाद विचार करने की जरूरत है।