मीणा जाति के लोग इस क्षेत्र में सामाजिक तौर पर आन-बान पर मर मिटने के लिये जाने जाते हैं, उनको जातीय पटेलों का निर्णय स्वीकार नहीं था, लेकिन पटेलों के निर्णयों को मानना उनकी सामाजिक बाध्यता रही। इस कारण वे पंचायत का विरोध नहीं कर सके! बताया जाता है कि पंचायत के मनमाने निर्णय और पप्पू शर्मा की मनमानियों पर हमेशा-हमेशा के लिये पूर्ण विराम लगाने के सुनियोजित इरादे से पीड़िता के परिजनों ने और पप्पू शर्मा के अन्याय से पीड़ित रहे कुछ अन्य लोगों ने साथ मिलकर ऐसा कदम उठाने का निर्णय लिया कि आगे से गॉंव में कोई दूसरा पप्पू शर्मा पैदा ही नहीं हो सके और उन्होंने मिलकर पप्पू शर्मा के दोनों हाथ काट डाले।
मेरे शुभचिंतक और समालोचक जिनके विश्वास एवं संबल पर मैं यहाँ लिख पा रहा हूँ!
‘यदि आपका कोई अपना या परिचित पीलिया रोग से पीड़ित है तो इसे हलके से नहीं लें, क्योंकि पीलिया इतना घातक है कि रोगी की मौत भी हो सकती है! इसमें आयुर्वेद और होम्योपैथी का उपचार अधिक कारगर है! हम पीलिया की दवाई मुफ्त में देते हैं! सम्पर्क करें : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, 098750-66111
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Sunday, December 9, 2012
पप्पू शर्मा के हाथ क्यों काटे?
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