मेरे शुभचिंतक और समालोचक जिनके विश्वास एवं संबल पर मैं यहाँ लिख पा रहा हूँ!

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Wednesday, October 5, 2016

भाजपा की राजस्थान सरकार के ‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय’ के ब्राह्मण मंत्री के स्थान पर किसी वंचित वर्ग के, सामाजिक न्याय के प्रति संवेदनशील किसी योग्य विधायक को बनवाया जावे।

प्रेषक :
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन
राष्ट्रीय कार्यालय : 7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर (राजस्थान)
पत्रांक : एचआरडी/राष्ट्रीय प्रमुख/सामाजिक न्याय/16-5. दिनांक : 05 अक्टूबर, 2016
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प्रेषिति :
प्रधानमंत्री : भारत सरकार, नयी दिल्ली।
राष्ट्रीय अध्यक्ष : भारतीय जनता पार्टी, नयी दिल्ली!
विषय : भाजपा की राजस्थान सरकार के ‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय’ के ब्राह्मण मंत्री के स्थान पर किसी वंचित वर्ग के, सामाजिक न्याय के प्रति संवेदनशील किसी योग्य विधायक को बनवाया जावे। जिससे कम से कम सैद्धान्तिक तौर पर ही सही वंचित वर्ग को सामाजिक न्याय की उम्मीद तो बंधी रहे।
माननीय आप दोनों को अच्छी तरह से ज्ञात है कि भारत में उच्चवर्गीय आर्य ब्राह्मणों द्वारा हजारों सालों से धर्म की ओट में किये गये अन्याय और भेदभाव के कारण देश की 85 फीसदी से अधिक जनसंख्या प्रत्येक क्षेत्र में न मात्र अत्यधिक पिछड़ गयी, बल्कि दुराशयपूर्वक हर क्षेत्र में अधिकारों और प्रतिनिधित्व से वंचित कर दी गयी। साथ ही अमानवीय जीवन जीने को विवश कर दी गयी। ऐसे घिनौनी ब्राह्मणी व्यवस्था से मुक्ति हेतु हमारे संविधान की प्रस्तावना सहित, मूल अधिकारों में सामाजिक न्याय की अवधारणा को प्रमुखता से समाहित किया गया है। प्रत्येक क्षेत्र में सामाजिक न्याय की स्थापना के लिये केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा ‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय’ की स्थापना की गयी है। सरकारों के लिये संवैधानिक बाध्यता न होते हुए भी आपकी केन्द्र सरकार सहित, सभी सरकारों द्वारा ‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय’ का प्रभारी मंत्री वंचित वर्ग के किसी जन प्रतिनिधि को ही बनाया जाता रहा है।
मगर अत्यन्त दु:ख और शर्म की बात है कि भाजपा शासित राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री ने सभी परम्पराओं और सामाजिक न्याय की स्थापना के प्रति सरकार की संवैधानिक प्रतिबद्धता को दरकिनार करते हुए राज्य के ‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय’ का मंत्री एक ब्राह्मण को बनाया हुआ है। जिनके नेतृत्व में पहले दिन से आरक्षित/वंचित वर्ग/विकलांग वर्ग तक के अधिकारों का लगातार हनन होता आ रहा है। आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति तक नहीं मिल रही है। मुख्यमंत्री के इस असंवैधानिक कुठाराघत पर प्रतिपक्ष, वंचित वर्ग के जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों की दु:खद चुप्पी, आपसी आन्तरिक राजनैतिक तालमेल और, या सरकारी आतंक से भयाक्रांतता का जीता-जागता प्रमाण है।
अत: आप दोनों शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं से आग्रह है कि अपने अधिकार और, या प्रभाव का उपयोग करते हुए भाजपा की राजस्थान सरकार के ‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय’ का मंत्री किसी वंचित वर्ग के, सामाजिक न्याय के प्रति संवेदनशील किसी योग्य विधायक को बनवाये जाने के निर्देश दिये जावें। जिससे कम से कम सैद्धान्तिक तौर पर ही सही, वंचित वर्ग को सामाजिक न्याय की उम्मीद तो बंधी रहे। 
उम्मीद की जाती है कि इस बारे में की गयी कार्यवाही से तत्काल अवगत करवाया जायेगा।
भवदीय
नोट : हाथ में फ्रेक्चर के कारण हस्ताक्षर के
स्थान पर बांये हाथ का अंगूठा लगाया है।

(डॉ. पुरुषोत्तम मीणा)
राष्ट्रीय प्रमुख
मो./वाट्स एप नं. : 9875066111
प्रतिलिपि : सम्पादक-समाचार-पत्र/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सम्पादक-ऑन लाईन न्यूज पोर्टल्स को सादर।

Wednesday, March 14, 2012

विधानसभा चुनाव परिणामों के संकेत-अन्ना और बाबा ने भ्रष्टाचार की लड़ाई को कई वर्ष पीछे धकेल दिया है।

पॉंच राज्यों के चुनाव परिणामों से जो सन्देश निकलकर सामने आया है, उसके ये संकेत तो स्पष्ट रूप से प्रकट हो ही चुके हैं कि मतदाता ने केवल कॉंग्रेस, भाजपा और बसपा को ही धूल नहीं चटायी है, बल्कि इसके साथ-साथ अन्ना हजारे और रामदेव को भी मटियामेट कर दिया है। जो इस देश के भ्रष्टाचार से त्रस्त आम लोगों के लिये दु:खद बात है। क्योंकि पूरे देश में सेवारत हजारों सच्चे सामाजिक कार्यकर्ताओं के दशकों के सतत और कड़े प्रयासों से भ्रष्टाचार जो वास्तव में देशभर में मुद्दा बन चुका था, उस मुद्दे का अन्ना और बाबा ने सत्यानाश कर दिया है। इन्होंने भ्रष्टाचार की लड़ाई को कई वर्ष पीछे धकेल दिया है।

Friday, December 30, 2011

लोकपाल-हमाम में सभी नंगे!


डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’

लोकपाल विधेयक के बहाने कॉंग्रेस के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबन्धन यूपीए और भाजपा के नेतृत्व वाले मुख्य विपक्षी गठबन्धन एनडीए सहित सभी छोटे-बड़े विपक्षी दलों एवं ईमानदारी का ठेका लिये हुंकार भरने वाले स्वयं अन्ना और उनकी टीम के मुखौटे उतर गये! जनता के समक्ष कड़वा सत्य प्रकट हो गया!