डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
आजादी के बाद से अनेक मोर्चों पर मनमानी और भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ छोटे-बड़े अनेक आन्दोलन देश में होते रहे हैं। जिनमें से अधिकतर का इतिहास है कि वे भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाने के बाद समाप्त होते रहे हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान समाज के एक वर्ग और कार्पोरेट घरानों के इशारों पर कदमताल करते