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"प्रेसपालिका" एक ऐसा हिन्दी का पाक्षिक समाचार-पत्र जो आम पाठकों को सजग एवं सतर्क नागरिक बनाने का दावा करता है। |
"प्रेसपालिका" एक ऐसा हिन्दी का पाक्षिक समाचार-पत्र जो आम पाठकों को सजग एवं सतर्क नागरिक बनाने का दावा करता है। जिसकी पाठक संख्या लगातार बढती ही जा रही है। जिसमें चित्रों के बनिस्बत सामग्री पर अधिक ध्यान दिया जाता है। यह राजस्थान की राजधानी जयपुर से 01 अगस्त, 2004 से लगातार आपकी सेवा में प्रकाशित हो रहा है।
हमारा प्रयास है कि "प्रेसपालिका" में सीमित साधनों से भी पाठकों को वह सामग्री पढने को मिल सके जो एक सजग और सतर्क नागरिक के लिए जरूरी होती है। इसी लिए हमने "प्रेसपालिका" में निम्न विषयों का समावेश किया है :-
1- जीवन को खुशी एवं प्रसन्नता प्रदान करने वाली सामग्री।
2-तनावमुक्त जीवन जीने का मार्ग दिखाने वाली सामग्री।
3-जागरूक उपभोक्ता बनाने वाली सामग्री।
4-अपने कर्त्तव्यों के निर्वाह का तरीका व महत्ता बताने वाली सामग्री।
5-नागरिक अधिकारों की जानकारी तथा अधिकारों के संरक्षण का कानूनी तरीका सुझाने वाली सामग्री।
6-भ्रष्टाचार, अत्याचार, गैर-बराबरी एवं हर तरह की नाइंसाफी के विरुद्ध लोंगों की आवाज को उठाना।
7-बीमारियों एवं उनके उपचार हेतु विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की दवाईयों की सरल भाषा में जानकारी प्रदान करने वाली सामग्री।
8-दैनिक जीवन में उपयोगी नियम-कानूनों तथा उपभोक्ता अधिकारों की जानकारी प्रदान करने वाली सामग्री।
9-समाज एवं व्यवस्था को दीमक की भांति अन्दर से खोखला करने वाले भ्रष्ट और चालाक लोगों का पर्दाफाश करने वाली सामग्री।

10-"भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)" की हर प्रकार की गतिविधियों की जानकारी, नए सदस्यों तथा पदाधिकारियों की नियुक्ति और पदमुक्ति की पूर्ण जानकारी।
11-उपरोक्त के अलावा भी शेर-ओ-शायरी, ग़ज़ल, कविता, चुटकुले, लघु कथा, धर्म, नीति, समाज, अँधविश्वास आदि अनेक विषयों पर विविध सामग्री।
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"भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)" के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पुरुषोत्तम मीणा खुद ही प्रेसपालिका का सम्पादन करते हैं! |
यही नहीं हम प्रेसपालिका में राजनीति, कूटनीति, सामाजिक न्याय आदि विषयों पर भी खुलकर जानकारी प्रकाशित करते हैं।
और सबसे बड़ी बात ये कि पाठकों की पसन्द और मांग के अनुसार हम "प्रेसपालिका" की सामग्री में बदलाव करने में तनिक भी शंकोच नहीं करते हैं, क्योंकि अंतत: "प्रेसपालिका" का प्रकाशन पाठकों के लिए ही तो किया जा रहा है!-सम्पादक!
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