मेरे शुभचिंतक और समालोचक जिनके विश्वास एवं संबल पर मैं यहाँ लिख पा रहा हूँ!

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Monday, May 10, 2010

विज्ञापन हेतु अप्रूव्ड नहीं किया जाना और साइट पर अस्पष्ट एवं गलत कारण दर्शाया जाना।

Smt. Jankee Purushottam Meena, Owner, Printer & Publisher
PRESSPALIKA (Fortnightly) News Paper
7-Tanwar Colony, Khatipura Road, Jaipur-302006 (Rajasthan)
RNI No.RAJHIN/2004/13005, Postal Regn. No. : RJ/JPC/FN-20/2010-12
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E-mail ID : jankeepmeena@yahoo.in
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Ref . On Line Application 0809F17124-037 Dated : 26.08.2009
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Note : If following Letter is not visible in Hindi please see on my PRESSPALIKA Blog ID : http://presspalika.blogspot.com.
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प्रेषक : श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा
स्वामिनी, मुद्रक एवं प्रकाशक-प्रेसपालिका (पाक्षिक समाचार-पत्र)
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड,जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन नं. 0141-2222225 मो. नं. 098285-02666
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दिनांक :10.05.2010

प्रति,

माननीय महानिदेशक
विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय
नयी दिल्ली।

माननीय संयुक्त निदेशक (विज्ञापन)
विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय
नयी दिल्ली।

माननीय मीडिया एक्ज्यूक्यटिव
विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय
एडवरटाईजिंग विंग
डीएवीपी, नयी दिल्ली।

विषय : प्रेसपालिका के विज्ञापन हेतु ऑन लाईन आवेदन संख्या : 0809F17124-037 Dated : 26.08.2009 को अप्रूव्ड नहीं किया जाना और साइट पर अस्पष्ट एवं गलत कारण दर्शाया जाना।

महोदय,

साग्रह अनुरोध है कि मैं एक आदिवासी (ढीळलरश्र) महिला हँू। मेरी ओर से प्रेसपालिका पाक्षिक समाचार-पत्र का 01.08.2004 से लगातार और नियमित रूप से प्रकाशन किया जा रहा है। इसमें हर बार मौलिक खबरें और जानकारी प्रकाशित की जाती हैं। इसके बावजूद भी इस समाचार-पत्र को आज तक विज्ञापनों के लिये अप्रूव्ड नहीं किया गया है। जबकि दो बार ऑन लाईन आवेदन किया गया है।

आपकी साईट पर मेरे आवेदन को नोट-अप्रूव्ड इर्शाया जा रहा है और नोट-अप्रूव्ड के जो कारण अंग्रेजी में दर्शाये गये हैं, वे निम्न प्रकार हैं :-

News Paper Name : PRESSPALIKA (JAIPUR)

Status : Not Approved

Reason :
1- Not submitted latest CA circulation certificate and RNI Annual Return with receiving proof/RNI Annual Return wrong fillup/Incomplete RNI Annual Return

7- Less circulation

25- No Provision for Empanelment in Policy


उपरोक्त में जो तीन कारण बतलाये गये हैं। इनके सम्बन्ध में मेरा अग्रह है कि-

(1) उक्त कारणों के आगे लिखे क्रमांक 1, 7 एवं 25 का आशय (मतलब) क्या है, यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है।

(2) पहले कारण में जो बात लिखी है, वह पूरी तरह से असत्य है, क्योंकि मैनें सीए का सर्टिफिकेट एवं आरएनआई रिटर्न स्पीड पोस्ट से भेजने की पावती भेजी है। क्योंकि नयी दिल्ली में जाकर जमा करवाना मेरे लिये सम्भव नहीं है, इसलिये मैं स्पीड पोस्ट से ही रिटर्न भेजती रहीहूँ और बहुत सारे ऐसे अन्य प्रकाशक हैं, जो मेरी भांति स्पीड पोस्ट से ही रिटर्न भेजते हैं और उनके समाचार-पत्र विज्ञापनों के लिये अप्रूव्ड हो चुके हैं। उन्हें विज्ञापन भी आम प्रकाशकों से अधिक मिल रहे हैं। रिटर्न को अपूर्ण भरने की जो बात इसमें लिखी है, लेकिन यह नहीं लिखा क्या अपूर्ण है? ऐसे में, मैं आगे से क्या सुधार करूँ, जिससे कि रिटर्न पूर्ण हो सके। मेरी जैसी रिटर्न एक ही दिन एक ही व्यक्ति द्वारा भरी गयी तथा एक ही सीए द्वारा सर्टिफाई की गयी थी। दूसरे समाचार-पत्र को तो विज्ञापनों के लिये अप्रूव्ड किया जा चुका है। क्योंकि उनके पास ऐसे लोग हैं जो आपके कार्यालय में जाकर सम्पर्क कायम कर सकते हैं। जबकि मैं समझती हँ कि यदि भारत में कानून का राज है तो कानून से काम होना चाहिये।

(3) दूसरे कारण में लेस सर्क्यूलेशन लिखा है, जिसका क्या तात्पर्य है, समझ में नहीं आ रहा है। मेरे समाचार-पत्र का 3000 प्रति अंक सर्क्यूलेशन है।

(4) तीसरी बात लिखी है, इसका मैं कोई अर्थ नहीं समझ पा रही हूँ।

उपरोक्त के अलावा मेरा यह भी आग्रह है कि-

-ऑन लाईन आवेदन करने की बाध्यता क्यों है। इसमें आवेदन अंग्रेजी में ही करना होता है। निर्धारित स्थान भी बहुत छोटे अर्थात्‌ सीमित रखे गये हैं, जिसमें पूरा पता भी नहीं भरा जा सकता है। ऐसे में गलती होने की बराबर सम्भावना बनी रहती है। भारत में अभी तक सभी लोग विशेषकर आदिवासी इतने शिक्षित नहीं हुए हैं, जितनी आपके कार्यालय द्वारा अपेक्षा की जा रही हैं।

-दूसरी बात यह कि जब सारा काम ऑन लाईन हो रहा है, जिसको पर्यावरण की दृष्टि से उचित भी माना जा सकता है तो अंग्रेजी के बजाय इसे हिन्दी में लागू करने में क्या दिक्कत है?

-तीसरे जब ऑन लाइन ही सब कुछ हो रहा है तो अप्रव्ड नहीं करने के कारणों का स्प्पष्ट रूप से खुलासा ऑन लाईन क्यों नहीं किया जाता है। आपके कार्यालय की तकनीकी भाषा को आप तो संक्षेप में समझ सकते हैं, लेकिन बाहरी व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा करना न्यायसंगत नहीं है।

-चौथे मेरी ओर से ऑन लाइन जो ई-मेल एड्रेस दिया गया था, उस पर कोई सूचना नहीं दी गयी। आपकी साइट पर भी Fresh Newspaper Empanelment status का बॉक्स शुरू में नहीं खुल रहा था।

अन्त में, मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि इस प्रकार की अस्पष्ट एवं अंग्रेजी में संचालित कार्यपद्धति के कारण ही समाचार-पत्रों एवं आपके कार्यालय के बीच में दलाल पैदा होते हैं। जिसके आपके कार्यालय की छवि खराब होती है।

आशा है कि आप उपरोक्त पर विचार करके मेरा मार्गदर्शन करेंगे और प्रेसपालिका को विज्ञापनों के लिये अप्रूव्ड करके मुझे उपकृत करेंगे।

इसके लिये प्रेसपालिका परिवार आपका आभारी रहेगा।

भवदीया

(श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा)
स्वामिनी, मुद्रक एवं प्रकाशक
प्रेसपालिका पाक्षिक समाचार-पत्र
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