जिन्दा लोगों की तलाश!
मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
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सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
http://aneelpandey.blogspot.com/2010/06/blog-post_18.html
ReplyDeleteयह आपके लेख का लिंक है। कृपया देख लें।
ReplyDeleteजानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई की आप जिंदा इंसानों की खोज में निकले हैं. मैं कोई ऐसी खोज तो नहीं कर रहा किंतु अपने बल पर अपने मुर्दा माहौल में ज़िंदा हूँ. देखिए मेरा हाल -
ReplyDeletehttp://khandoi.blogspot.com/2010/06/blog-post_16.html
your thoughts r great
ReplyDeleteaapaka lekh to bada achchha hai lekin mai yaha par bhagatsingh ki galati ka jahan aapane jikra kiya hai usake baare m mai kahana chahunga ki un haalato m wo galati nahi unaki sujhbujh thi. wo galati to aap aaj maanate hai. yadi us samay wo sahid na hote to shaayad aaj bharat m bahut kam log hote jo unhe yaad karate. unki bahaaduri ko salam karate. achchhi prastuti ke liye hardik badhaiya.
ReplyDeleteवैचारिक समर्थन एवं हौंसला अफजाई के लिये आभार।
ReplyDeleteवैचारिक समर्थन एवं हौंसला अफजाई के लिये आभार। मुझे नहीं पता कि लोगों को और विशेषकर आपको यह जानकर कैसा लगेगा, लेकिन मेरा मानना है कि-
एक साथ आना शुरुआत है,
एक साथ रहना प्रगति है और
एक साथ काम करना सफलता है।
इसी आशा/उम्मीद के सहारे हजारों नेक लोगों के साथ मिलकर और नये-नये विशिष्ट लोगों से उनके अनुभव पर आधारित अमूल्य ज्ञान प्राप्त करते हुए/सीखते हुए मैं निरन्तर आगे बढने का प्रयास कर रहा हँ।
मैंने अनेक लोगों से ऐसा बहुत कुछ सीखा है, जो शायद ही कभी मैं सीख पाता। अतः मेरे लिये प्रत्येक व्यक्ति महत्वपूर्ण है और मेरा यह भी निश्चित मत है कि हर व्यक्ति परमात्मा ने किसी न किसी विशेष मकसद से इस दुनिया में भेजा है। हो सकता है कि अलग-अलग या दूरदराज में काम करने वाले बहुत सारे समान विचारों के लोग मिलकर बडे मकसद को हासिल कर सकें।
इसलिये नाइंसाफी के खिलाफ और इंसाफ प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढने के लिये हमें हर व्यक्ति का सहयोग अपेक्षित है। वैसे भी लोकतन्त्र में जनबल सबसे बडी ताकत है। शुभकामनाओं सहित। धन्यवाद।
आपका
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं
राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
(जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है। इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में 4344 आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)।
presspalika.blogspot.com
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