मेरे शुभचिंतक और समालोचक जिनके विश्वास एवं संबल पर मैं यहाँ लिख पा रहा हूँ!

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Tuesday, July 6, 2010

खामोश मिजाजी, तुम्हें जीने नहीं देगी! इस दौर में जीना है तो

खामोश मिजाजी, तुम्हें जीने नहीं देगी!
इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो!!

6 comments:

  1. खामोश मिजाजी, तुम्हें जीने नहीं देगी!
    इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो!!
    घुट घुट के कंइ दिन तलक जींदा रहोगे तुम।

    खुल के जीयो और जीने का आह्वान मचा दो।

    http://raziamirza.blogspot.com

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  2. वैचारिक समर्थन एवं हौंसला अफजाई के लिये आभार। मुझे नहीं पता कि लोगों को और विशेषकर आपको यह जानकर कैसा लगेगा, लेकिन मेरा मानना है कि-

    एक साथ आना शुरुआत है,
    एक साथ रहना प्रगति है और
    एक साथ काम करना सफलता है।

    इसी आशा/उम्मीद के सहारे हजारों नेक लोगों के साथ मिलकर और नये-नये विशिष्ट लोगों से उनके अनुभव पर आधारित अमूल्य ज्ञान प्राप्त करते हुए/सीखते हुए मैं निरन्तर आगे बढने का प्रयास कर रहा हँ।

    मैंने अनेक लोगों से ऐसा बहुत कुछ सीखा है, जो शायद ही कभी मैं सीख पाता। अतः मेरे लिये प्रत्येक व्यक्ति महत्वपूर्ण है और मेरा यह भी निश्चित मत है कि हर व्यक्ति परमात्मा ने किसी न किसी विशेष मकसद से इस दुनिया में भेजा है। हो सकता है कि अलग-अलग या दूरदराज में काम करने वाले बहुत सारे समान विचारों के लोग मिलकर बडे मकसद को हासिल कर सकें।

    इसलिये नाइंसाफी के खिलाफ और इंसाफ प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढने के लिये हमें हर व्यक्ति का सहयोग अपेक्षित है। वैसे भी लोकतन्त्र में जनबल सबसे बडी ताकत है। शुभकामनाओं सहित। धन्यवाद।

    आपका

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

    सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं
    राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है। इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में 4344 आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)।

    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
    ================================

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  3. सर, सबसे पहले तो आप मेरा प्रणाम स्वीकार करें और धन्यवाद भी,अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए |

    मैं आपको इतनी गहराई से तो नहीं जानता लेकिन आपके बिचारों को पढ़कर लगा कि शायद मेरा और आपका जन्मांतर का रिश्ता है | बिचारों का आदान-प्रदान जारी रहेगा बस इसी तरह आप जैसे अनुभवी लोगों का स्नेह और मार्गदर्शन बना रहे | मैं अवश्य इस संस्था का सदस्य बनना चाहूँगा |

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  4. भाई स्वर्ण सिंह जी,
    आपके आत्मीय वैचारिक समर्थन के लिये हृदय से आभार व्यक्त करता हूंॅ, लेकिन कृपया यह जरूर समझ लें कि मैं इस दुनिया का सबसे छोटा और ज्ञान की पठशाला का अभी भी विार्थी ही हँू। आप मुझ अभी भी ज्ञानी नहीं अज्ञानी ही मानकर चलें। क्योंकि अभी भी मानव जीवन से सम्बद्ध ऐसा अथाह ज्ञान का क्षेत्र है, जिसमें गौता लगाने के लिये मैं प्रयासरत हँू।

    जहाँ तक भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करने का सवाल है, तो इस जनान्दोलन में आपका स्वागत है, यदि आप निर्धारित मानदण्डों को पूर्ण करते हैं तो आपको सदस्यता अवश्य ही प्रदान की जायेगी और सदस्यता प्राप्ति के बाद आपसे अपेक्षा रहेगी कि आप अपने क्षेत्र में नाइंसाफी के विरुद्ध जारी इस संघर्ष में इस संस्थान का नेतृत्व करने की शीघ्रता से पात्रता हासिल करें।

    यदि आप अपना पत्राचार का पता निम्न मैल आईडी पर अवगत करवा सकें तो मैं आपको सदस्यता हेतु डाक से फार्म भिजवा सकँूगा। धन्यवाद।

    शुभकामनाओं सहित!
    आपका : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश

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  5. यदि आप अपना पत्राचार का पता निम्न मैल आईडी पर अवगत करवा सकें तो मैं आपको सदस्यता हेतु डाक से फार्म भिजवा सकँूगा। धन्यवाद।

    शुभकामनाओं सहित!
    आपका : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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