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Wednesday, May 21, 2014

राजस्थान की भाजपा सरकार के नायाब तोहफे

जनता शराब की दुकानों को बन्द कराने के लिये आये दिन सड़कों पर उतर कर विरोध जताती रहती है, फिर भी शराबबन्दी के बारे में किसी प्रकार का सकारात्मक निर्णय लिया जाना राजस्थान सरकार के लिये चिन्ता का कारण या विषय नहीं है। बल्कि इसके विपरीत राजस्थान की भाजपा सरकार का मानना है कि राज्य के साधन सम्पन्न, उच्चवर्गीय और उच्च कुलीन लोगों को शराब की दुकानों पर जाकर और भीड़ में शामिल होकर शराब खरीदने में शर्म, संकोच तथा हीनता का अनुभव होता है, इस स्थिति को बदलना राज्य सरकार की प्राथमिकता सूची में गम्भीर चिन्ता का विषय है। इसलिये राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति के संरक्षक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राजनीतिक शाखा भाजपा की राजस्थान सरकार ने अपने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि राज्य की राजधानी जयपुर में स्थित सभी मॉल्स में खरीददारी करने के लिये जाने वाले सम्पन्न, उच्चवर्गीय और उच्च कुलीन लोगों के लिये मॉल्स में ही शराब खरदने की व्यवस्था की जावे। जिससेे कि ऐसे लोगों को शराब की दुकानों पर जाकर शराब खरीदने में होने वाले शर्म, संकोच तथा हीनता के असहज भाव से मुक्ति मिल सके।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’

राजस्थान के इतिहास में किसी भी पार्टी को कभी उतना बहुमत नहीं मिला, जितना की वर्तमान भाजपा सरकार को मिला है। इसलिये यहां की जनता की शुरू से ही राज्य सरकार से यही उम्मीदें रही हैं कि वसुन्धरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार सभी वर्गों और समूहों के हितों में कुछ न कुछ रचनात्मक एवं क्रान्तिकारी कदम अवश्य उठाएंगी। जिससे राज्य का और राज्य की जनता का चहुंमुखी और द्रुतगामी विकास होगा।

भाजपा नेतृत्व के सर्वविदित ऐतिहासिक स्वभाव के विपरीत राज्य सरकार आश्‍चर्यजनक रूप से लोकसभा चुनाव होने तक तो एक दम शान्त, बल्कि चुप रही! लोगों को लगा ही नहीं कि राज्य में राजनैतिक नेतृत्व का परिवर्तन हो चुका है, लेकिन केन्द्र में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलते ही राज्य में भाजपा सरकार के परिवर्तन की छटा बिखरने लगी है। कुछ मामले इस प्रकार हैं :-

1. बड़े लोगों के लिये मॉल्स में खुलेंगी शराब की दुकानें : पिछले कार्यकाल में भाजपा की सरकार ने राज्य में शराब की हजारों नयी दुकानें खोली थी और बेरोकटोक देर रात तक शराब की बिक्री होती थी। जिसके चलते लाखों गरीब परिवार बर्बाद हो गये और अनेकों घर बिखरकर टूट गये। इस स्थिति पर अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने नियन्त्रण करने का दिखावटी असफल प्रयास किया था। अब भाजपा के दुबारा सत्ता में आने के बाद फिर से राज्य सरकार को इस बात की कतई भी परवाह नहीं सता रही है कि शराब पीने से लाखों परिवार और घर बर्बाद हो रहे हैं। बावजूद इसके कि राज्य की जनता शराब की दुकानों को बन्द कराने के लिये आये दिन सड़कों पर उतर कर विरोध जताती रहती है, फिर भी शराबबन्दी के बारे में किसी प्रकार का सकारात्मक निर्णय लिया जाना राजस्थान सरकार के लिये चिन्ता का कारण या विषय नहीं है। बल्कि इसके विपरीत राजस्थान की भाजपा सरकार का मानना है कि राज्य के साधन सम्पन्न, उच्चवर्गीय और उच्च कुलीन लोगों को शराब की दुकानों पर जाकर और भीड़ में शामिल होकर शराब खरीदने में शर्म, संकोच तथा हीनता का अनुभव होता है, इस स्थिति को बदलना राज्य सरकार की प्राथमिकता सूची में गम्भीर चिन्ता का विषय है। इसलिये राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति के संरक्षक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राजनीतिक शाखा भाजपा की राजस्थान सरकार ने अपने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि राज्य की राजधानी जयपुर में स्थित सभी मॉल्स में खरीददारी करने के लिये जाने वाले सम्पन्न, उच्चवर्गीय और उच्च कुलीन लोगों के लिये मॉल्स में ही शराब खरदने की व्यवस्था की जावे। जिससेे कि ऐसे लोगों को शराब की दुकानों पर जाकर शराब खरीदने में होने वाले शर्म, संकोच तथा हीनता के असहज भाव से मुक्ति मिल सके।


2. 7538 लिपिकों भर्ती प्रक्रिया रद्द करके लाखों बेरोजगारों के सपने किये चकनाचूर : गत वर्ष राजस्थान लोक सेवा आयोग के माध्यम से लिपिकों के 7538 रिक्त पदों पर भर्ती करने के लिये आवेदन मांगे गये थे, परीक्षा भी हो चुकी और परिणाम घोषित किये जाने का लाखों बेरोजगार लम्बे समय से बेसब्री से इन्तजार कर रहे थे, लेकिन भाजपा की बेतहासा बहुमत प्राप्त राज्य सरकार ने परिणामों को जल्दी घोषित करवाने के बजाय, इस भर्ती प्रक्रिया को अन्तिम चरण में रद्द कर दिया है। तर्क दिया गया कि कम्प्यूटर के युग में बाबुओं की क्या जरूरत है?


इस प्रकार का अलोकतान्त्रिक, हृदयहीन तथा निष्ठुर निर्णय लिये जाने से पूर्व राज्य सरकार ने तनिक भी इस बात पर गौर नहीं किया कि इस निर्णय से लिपिक पद की भर्ती परीक्षा में शामिल हुए राज्य के लाखों बेरोजगारों ने अपने माता-पिता की खूनपसीने की कमाई से कोचिंग सेंटर्स पर महीनों तैयारी करके परीक्षा दी, जिसमें हर एक बेराजगार को हजारों रुपये का खर्चा वहन करना पड़ा। परीक्षा के लिये आने-जाने और शैक्षणिक सामग्री में किये गये खर्चे के साथ-साथ बेरोजगारों के अमूल्य समय, श्रम और जीवन का कम से कम एक वर्ष रसातल में चला गया। यही नहीं राज्य सरकार के इस मनमाने निर्णय से लिपिक भर्ती परीक्षा के परिणामों का इन्तजार कर रहे लाखों अभ्यर्थियों को गहरे मानसिक सदमें में पहुंचा दिया है। जिससे अनेक प्रकार की सामाजिक, शारीरिक, मानसिक तथा आपराधिक विकृतियों के जन्मने की सदैव आशंका बनी रहती है!

3. सचिवालय के 275 पदों पर लिपिकों की भर्ती रद्द : राज्य में 7538 लिपिकों की भर्ती रद्द करने के अगले ही दिन राजस्थान सरकार ने लगातार निष्ठुरता दिखाते हुए राज्य सचिवालय में रिक्त 275 पदों पर होने वाली लिपिकों की भर्ती भी रद्द कर दी है। इस भर्ती के लिए भी परीक्षा भी हो चुकी थी।


4. विधानसभा में भी 36 पदों पर भर्ती रद्द : बेरोजगारों को झटके पर झटका देते हुए राजस्थान विधानसभा में भी पिछली सरकार के समय निकाली गई बाबुओं की भर्ती को भी राज्य सरकार ने रद्द कर दिया है। विधानसभा में 36 पदों पर भर्ती के लिए अक्टूबर, 2013 में जगह निकाली थी। अब यह भर्ती नये सिरे से प्रारम्भ की जाएगी।

5. पिछली सरकार द्वारा मंजूर 61 विभागों में नये सृजित पदों के भरने पर पर भी सरकार ने लगायी रोक : राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान राज्य के 61 विभागों में सृजित किये गये अतिरिक्त पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया पर भाजपा की राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इससे लम्बे समय से पदोन्नति का इन्तजार कर रहे लोक सेवकों को तगड़ा झटका लगा है, इसके लिए 28 जून 2013 को अधिसूचना जारी हुई थी। सरकार ने वित्त विभाग को इसकी समीक्षा के निर्देश दिए हैं।

6. प्रदेश में 25 फीसदी बढ़ेगा टोल टैक्स : अप्रेल के प्रथम सप्ताह में राज्य के समाचार-पत्रों में यह खबर पढने को मिली थी कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के टोल बूथों पर टोल दरें बढाने का भाजपा विरोध कर रही है। इस बारे में भाजपा की ओर से आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गयी थी। इससे लोगों के मन में एक नयी आस बंधी थी कि यदि राज्य में भाजपा सरकार आती है तो लोगों को टोल टैक्स की मार से मुक्ति मिल सकेगी। लेकिन इसके ठीक विपरीत भाजपा की उक्त घोषणा के मात्र डेढ़-दो माह बाद ही राजस्थान सरकार ने जनता की भावनाओं के विपरीत निर्णय लिया है कि प्रदेश में 25 फीसदी तक टोल टैक्स की दरें बढाने के लिये नयी टोल नीति लागू करने पर राज्य सरकार विचार कर रही है। निश्‍चय ही इस सबका भार राज्य की जनता पर पड़ना तय है। जिससे जहॉं एक ओर मंहगाई बढना तय है, वहीं दूसरी ओर इसके चलते लोगों के दैनिक जीवन पर कुप्रभाव अवश्य पड़ेगा।



इस प्रकार राजस्थान की भाजपा सरकार की ओर से राजस्थान की जनता द्वारा प्रदान किये गये अभूतपर्व समर्थन के प्रतिफल में राज्य सरकार ने जनता के लिये आघातिक और गहरे सदमें में डालने वाले तोहफे प्रदान करना शुरू कर दिया है। सरकार के उपरोक्त निर्णयों को लेकर लोगों के मध्य अनेक प्रकार की चर्चाएँ चल निकली हैं। सबसे बड़ी चर्चा तो लिपिकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर है। जिसके बारे में दो बातें सामने आ रही हैं :-

प्रथम : पिछली सरकार की ओर से लिपिकों को भर्ती करने में कथित रूप से खुलकर लेनदेन हुआ था, जिसके चलते अफसरों और सम्बन्धित नेताओं ने जमकर कमाया।


द्वितीय : नयी सरकार और सरकार में नियुक्त नये प्रशासक नहीं चाहते कि पिछली सरकार द्वारा निकाली गयी रिक्तियों के पदों को बिना किसी प्रतिफल के भरा जावे। इसलिये सूत्र बताते हैं कि सरकार कुछ समय बाद दबाव बढने पर फिर से लिपिकों की भर्ती निकाल सकती है। जिसमें फिर से वही सब होना लाजिमी है, जो कथित रूप से पिछली सरकार द्वारा किया गया था। इसमें बेरोजगारों की कितनी दुर्गती हो चुकी है और आगे होने वाली है, इस बात से किसी को कोई सारोकार नहीं है।

इस कारण जानबूझकर और भर्ती प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों के प्रति निष्ठुरता तथा हृदयहीनता दिखाते हुए राज्य सरकार ने रिक्तियों और भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया है।

भाजपा के खाने के और दिखाने के दांत वास्तव में अलग-अलग हैं : जहॉं तक टोल टैक्स का विरोध करने वाली भाजपा द्वारा स्वयं संज्ञान लेकर टोल टैक्स को पच्चीस फीसदी तक बढाने की नीति बनाकर जारी करने पर विचार किये जाने का सवाल है तो इससे यह स्वत: प्रमाणित होता है कि भाजपा के खाने के और दिखाने के दांत वास्तव में अलग-अलग हैं। लोकसभा में वोट हासिल करने के लिये टोल टैक्स का विरोध और चुनाव लड़ने के लिये धन उपलब्ध करवाने वाली और टोल वसूलने वाली कम्पनियों को लाभ पहुँचाने के लिये वोट दे चुकी जनता की परवाह नहीं कर टोल टैक्स बढाने का निर्णय लिया जाना,  इसी बात को प्रमाणित करता है कि भाजपा का दोगला चरित्र है। ऐसे में अब हमें देखते हैं कि आगे-आगे होता है क्या?-09875066111

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