मेरे शुभचिंतक और समालोचक जिनके विश्वास एवं संबल पर मैं यहाँ लिख पा रहा हूँ!

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Sunday, July 18, 2010

धर्मनिरपेक्षता से मेरा तात्पर्य है कि-

कृपया निम्न लेख के अंत में मेरी टिप्पणी पढ़ें!


क्या आप धर्मनिरपेक्ष हैं ? जरा फ़िर सोचिये

क्या आप धर्मनिरपेक्ष हैं ? जरा फ़िर सोचिये और स्वयं के लिये इन प्रश्नों के उत्तर खोजिये.....
१. विश्व में लगभग ५२ मुस्लिम देश हैं, एक मुस्लिम देश का नाम बताईये जो हज के लिये "सब्सिडी" देता हो ?
२. एक मुस्लिम देश बताईये जहाँ हिन्दुओं के लिये विशेष कानून हैं, जैसे कि भारत में मुसलमानों के लिये हैं ?
३. किसी एक देश का नाम बताईये, जहाँ ८५% बहुसंख्यकों को "याचना" करनी पडती है, १५% अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करने के लिये ?
४. एक मुस्लिम देश का नाम बताईये, जहाँ का राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री गैर-मुस्लिम हो ?
५. किसी "मुल्ला" या "मौलवी" का नाम बताईये, जिसने आतंकवादियों के खिलाफ़ फ़तवा जारी किया हो ?
६. महाराष्ट्र, बिहार, केरल जैसे हिन्दू बहुल राज्यों में मुस्लिम मुख्यमन्त्री हो चुके हैं, क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि मुस्लिम बहुल राज्य "कश्मीर" में कोई हिन्दू मुख्यमन्त्री हो सकता है ?
७. १९४७ में आजादी के दौरान पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या 24% थी, अब वह घटकर 1% रह गई है, उसी समय तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब आज का अहसानफ़रामोश बांग्लादेश) में हिन्दू जनसंख्या 30% थी जो अब 7% से भी कम हो गई है । क्या हुआ गुमशुदा हिन्दुओं का ? क्या वहाँ (और यहाँ भी) हिन्दुओं के कोई मानवाधिकार हैं ?
८. जबकि इस दौरान भारत में मुस्लिम जनसंख्या 10.4% से बढकर 14.2% हो गई है, क्या वाकई हिन्दू कट्टरवादी हैं ?
९. यदि हिन्दू असहिष्णु हैं तो कैसे हमारे यहाँ मुस्लिम सडकों पर नमाज पढते रहते हैं, लाऊडस्पीकर पर दिन भर चिल्लाते रहते हैं कि "अल्लाह के सिवाय और कोई शक्ति नहीं है" ?
१०. सोमनाथ मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिये देश के पैसे का दुरुपयोग नहीं होना चाहिये ऐसा गाँधीजी ने कहा था, लेकिन 1948 में ही दिल्ली की मस्जिदों को सरकारी मदद से बनवाने के लिये उन्होंने नेहरू और पटेल पर दबाव बनाया, क्यों ?

११. कश्मीर, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आदि में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, क्या उन्हें कोई विशेष सुविधा मिलती है ?
१२. हज करने के लिये सबसिडी मिलती है, जबकि मानसरोवर और अमरनाथ जाने पर टैक्स देना पड़ता है, क्यों ?
१३. मदरसे और क्रिश्चियन स्कूल अपने-अपने स्कूलों में बाईबल और कुरान पढा सकते हैं, तो फ़िर सरस्वती शिशु मन्दिरों में और बाकी स्कूलों में गीता और रामायण क्यों नहीं पढाई जा सकती ?
१४. गोधरा के बाद मीडिया में जो हंगामा बरपा, वैसा हंगामा कश्मीर के चार लाख हिन्दुओं की मौत और पलायन पर क्यों नहीं होता ?
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मेरी टिप्पणी पढ़ें!



धर्मनिरपेक्षता से मेरा तात्पर्य है कि-

-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

मैं पूरी तरह से धर्म-निरपेक्ष व्यक्ति हँू और धर्मनिरपेक्षता से मेरा तात्पर्य है कि-किसी भी धर्म के साथ सरकार को किसी भी प्रकार का कोई सरोकार नहीं होना चाहिये। यहाँ तक कि हज के लिये सब्सीडी तो दी ही नहीं जानी चाहिये, लेकिन साथ ही साथ किसी भी सरकारी इमारत की आधारशिला रखते समय गणेश पूजा या नारियल तोडने का कार्य भी नहीं करना चाहिये। मुख्यमन्त्री की कुर्सी संभालते समय मन्त्रोचार भी नहीं किया जाना चाहिये, जैसा कि वसुन्धारा राजे एवं उमा भारती ने किया था। दोनों दिशाओं में असंवैधानिक काम चल रहे हैं। यही नहीं सरकारी कार्यालयों में गणेश, शिवजी, हनुमानजी, दुर्गा आदि की मूर्तियाँ या चित्र स्थापित हैं, जिनकी लोक सेवकों द्वारा वाकायदा प्रतिदिन पूजा की जाती है और प्रसाद भी वितरित किया जाता है। यह सब असंवैधानिक और गैर कानूनी तो है ही, साथ ही साथ लोक सेवक के रूप में पद ग्रहण करने से पूर्व ली जाने वाली शपथ का भी खुलेआम उल्लंघन है। जबकि एक भी कार्यालय में मक्का-मदीना का चित्र नहीं मिलेगा! इस देश की निकम्मी जनता जागर भी सोई हुई है। अतः यह सब कुछ गैर-कानूनी और असंवैधानिक चलता आ रहा है और आगे भी लगातार चलता रहेगा। लोगों को अपने साथ होने वाले अत्याचार, व्यभिचार और शोषण तक की तो परवाह है, नहीं ऐसे में वे उस हिन्दू धर्म की क्या परवाह करेंगे, जिसका उल्लेख किसी भी प्रमाणिक धार्मिक ग्रंथ (चारों वेदों) में तक नहीं है।

इसके अलावा आपसे यह भी कहना चाहँूगा कि हिन्दू धर्म के प्रवर्तक एवं संरक्षकों द्वारा 20 प्रतिशत हिन्दुओं को मन्दिरों में प्रवेश तक नहीं करने दिया जाता है। मन्दिरों में प्रवेश करने से मुसलमान नहीं रोकते, बल्कि ब्राह्मण मानसिकता का अन्धानुकरण करने वाले हिन्दू ही रोकते हैं। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में आदिवासियों का शोषण मुसलमान नहीं करते, बल्कि मनुवादी हिन्दू ही करते हैं। ऐसे में आप दलित-आदिवासियों से अपने पक्ष में खडे रहने की उम्मीद किस नैतिकता के आधार पर कर सकते हैं। अजा एवं अजजा की देश में करीब 30 प्रतिशत आबादी है, लेकिन इन वर्गों के हितों पर हमेशा कुठाराघात उच्चपदों पर आसीन सवर्ण हिन्दुओं द्वारा किया जाता है। यदि आप वास्तव में निष्पक्ष और न्यायप्रिय व्यक्ति हैं, तो आपको जानकर आश्चर्य होना चाहिये कि हाई कोर्ट में सडसठ प्रतिशत पदों पर जजों की सीधी नियुक्ति की जाती है, लेकिन राजस्थान में आजादी से आज तक एक भी अजा एवं अजजा वर्ग में ऐसा व्यक्ति (वकील) नियुक्ति करने वाले सवर्ण हिन्दुओं को योग्य नहीं मिला, जिसे हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया जा सकता। ऐसे में हिन्दु हितों की बात करना एक पक्षीय उच्च वर्गीय हिन्दुओं की रुग्ण मानसिकता का अव्यवहारिक पैमाना है। जो कभी भी सही नहीं ठहराया जा सकता और इसी लिये आपने इतने सारे सवाल उठा दिये हैं, लेकिन इन सवालों में से एक पर भी काँग्रेस तो क्या भाजपा भी विचार करने के लिये तैयार नहीं है! जिसेका प्रमाण है, केन्द्र में छह वर्ष तक रही भाजपानीत सरकार का और अनेक राज्यों में भाजपा की सरकारों का रवैया। फिर क्यों आप अपना जी जला रहे हो? क्यों इस देश और समाज का माहौल खराब किया जाये? आपसे आग्रह है कि इस देश में हिन्दू-मुसलमानों को आडवाणी की 1980 की रथयात्रा से पूर्व की भांति शान्ति से रहने के लिये, अवसर प्रदान करें, जिससे देश का विकास हो सके। देश में शान्ति कायम हो और देश का नाम ऊंचा हो। यदि कुछ कर सकते हो तो अपने हिन्दुओं से कहो कि हिन्दू-हिन्दू में भेद करने वाली मनुस्मृति, रामचरित मानस जैसी कथित धार्मिक किताबों के प्रकाशन एवं विक्रय पर पाबन्दी लगायी जावे।

इस सबके उपरान्त भी मैं इस बात की प्रशंसा करना चाहँूगा कि आपने बहुत ही तार्किक और वैचारिक प्रश्न उठाये हैं। मैं बताना चाहूँगा कि राजस्थान में भी स्वर्गीय बरकतुल्ला खॉन साहब मुख्यमन्त्री रह चुके हैं। शुभकामनाओं सहित।
आपका
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है।
इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में 4366 आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
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