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Thursday, February 25, 2010

छोटी खबर बडा असर!

फैशन या दिखावे से अधिक महत्वपूर्ण है, आपका जीवन। परमात्मा की अमूल्य सौगात मानव जीवन की रक्षा की जिम्मेदार स्वयं मानव की है। यदि हम अपनी लापरवाही से अपने जीवन को विपदा में डालते हैं तो इसमें परमात्मा का कोई दोष नहीं है।
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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा "निरंकुश"
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राजस्थान के एक दैनिक समाचार पत्र के स्थानीय संस्करण में छोटी सी खबर प्रकाशित हुई कि राजस्थान के पूर्व में स्थित करौली जिले के एक गाँव के युवक की इस कारण से मौत हो गयी, क्योंकि उसकी आँख में चेंपा घुस गया, जिसके चलते उसने मोटर साईकल का सन्तुलन खो दिया और वह पत्थरों से जा टकराया। एक आम व्यक्ति के लिये यह खबर छोटी हो सकती है, लेकिन मरने वाले के माता-पिता से जाकर पूछें तो पता चलेगा कि एक पुत्र को खो देने का दर्द क्या होता है? उनके लिये तो दुःखों का पहाड टूट पडा। हम लोग इस प्रकार की छोटी-छोटी खबरों को पढकर कुछ ही दिनों में भुला देते हैं। इसीलिये इस खबर को यहाँ छोटी लिखा गया है, परन्तु इस छोटी बात या छोटी खबर को गहराई से समझने के लिये इसे विवेचनात्मक रूप से लिखना असल मकसद है।

विचारणीय बात यह है कि यदि उक्त युवक ने एक घटिया सा चश्मा भी पहन रक्खा होता तो उसकी आँख में चेंपा नहीं गया होता और मोटर साईकल का सन्तुलन भी नहीं बिगडता एवं माता-पिता के बुढापे का सहारा नहीं छिनता। या यदि उक्त युवक ने हेलमेट पहन रखा होता तो भी सन्तुलन बिगड जाने के बाद भी उसका सिर पत्थरों की चोटों से बच सकता था। यदि ग्लास वाला हेलमेट पहना होता तो चेंपा आँख में ही नहीं जाता। इस प्रकार छोटी सी सावधानी जीवन को बचाने के लिये बहुत बडा योगदान दे सकती है।

इस घटना के प्रकाश में हमारे लिये समझने और अपने स्वजनों को समझाने वाली बात यह है कि चेंपा के मौसम में ही नहीं, अपितु हमेशा ही बाइक या साईकल चलाते समय चश्मा पहनें या ग्लास वाला हेलमेट पहनने की आदत डालें। क्योंकि चेंपा तो मौसम के कारण फरवरी-मार्च के महिने में ही उडता है, लेकिन मच्छर और कचरे व धूल के कण तो हर क्षण हवा में तैरते रहते हैं, जो कभी भी और किसी भी क्षण किसी भी बाइक या साईकल चालक की आँख में घुसकर जान लेवा सिद्ध हो सकते हैं।

इस घटना से हमें यह भी सीखना चाहिये कि छोटी-छोटी बातों को, छोटी-छोटी चीजों को और छोटी-छोटी घटनाओं को गम्भीरता से लेना चाहिये। यदि एक छोटी सी चिडिया वेग से उडते हवाई जहाज से टकराकर दुर्घटना का कारण बन सकती है और उसमें सवार सैकडों लोगों की असमय मृत्य का कारण बन सकती है तो चेंपा, मच्छर या कचरे के छोटे से कण के कारण एक बाइक चालक की आँख को तकलीफ पहूँचना तो सुनिश्चित है। जिस प्रकार से हवा में उडती चडियाओं से आसमान को मुक्त करना सम्भव नहीं है, उसी प्रकार से धरती से कुछ फिट की उंचाई पर उडते चेंपा तथा मच्छर एवं हवा में तैरते धूल या कचरे के कणों को भी रोका नहीं जा सकता है। यह सब प्राकृतिक है।

हमें स्वयं ही इन सबसे बचाव के रास्ते खोजने होंगे। हमें अपनी आँखों पर से लापरवाही का चश्मा हटाकर, समझदारी का परिचय देते हुए, अच्छा सा चश्मा खरीद बाइक या साईकल चलाते समय हमेशा पहनना चाहिये। जिससे हमारी आँखों की ही नहीं, बल्कि हमारे जीवन की भी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। दैनिक जीवन के अन्य अपरिहार्य कार्यों की भांति यदि हम चश्मा एवं हेलमेट पहनने को भी अपनी आदत में शामिल कर लें तो हम बाइक चलते समय अपने अपने जीवन और हम पर निर्भर हमारे परिवारजनों की आशाओं को लम्बे समय तक जिन्दा रख सकते हैं।

इसलिये सबक सीखने वाली बात यही है कि बाइक चलते समय हमेशा चश्मा लगाना और हेलमेट पहनना नहीं भूलें। फैशन या दिखावे से अधिक महत्वपूर्ण है, आपका जीवन। परमात्मा की अमूल्य सौगात मानव जीवन की रक्षा की जिम्मेदार स्वयं मानव की है। यदि हम अपनी लापरवाही से अपने जीवन को विपदा में डालते हैं तो इसमें परमात्मा का कोई दोष नहीं है। परमात्मा ने बाइक या साईकल नहीं बनाई, इसलिये परमात्मा ने चेंपा और मच्छर को खुले आसमान में उडने का हक प्रदान किया, लेकिन मानव ने तेजी से दौडती बाइक का निर्माण किया है, जिसके कारण चेंपा हमसे नहीं, बल्कि हम चेंपा से जाकर टकराते हैं। इसलिये चेंपा तथा मच्छर और कचरे एवं घूल के कणों से अपनी आँखों और अपने जीवन की रक्षा करने की जिम्मेदारी भी हमारी अपनी ही है।

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