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Wednesday, November 11, 2009

राज ठाकरे की पार्टी की मान्यता रद्द होनी चाहिए!

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
(मेरी ख़बर डॉट कॉम पर प्रकाशन तारीख :10-Nov-2009 08:34:35 )



महाराष्ट्र में नई विधानसभा का चुनाव हुआ और चुने गए सदस्यों को शपथ दिलाने की कार्यवाही पूरी होने से पूर्व ही राज ठाकरे की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ने बतला दिया कि किस प्रकार से महाराष्ट्र का नव निर्माण किया जायेगा।


विधानसभा के अहाते में सरेआम एक विधायक के साथ बदसलूकी की गयी। उन्हें शपथ लेने से रोका गया। मारपीट करने का पूरा-पूरा प्रयास किया गया। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि सारे देश ने यह वाकया मूक दर्शक बनकर देखा कि एक सम्मानित विधायक को केवल इस कारण से सरेआम बेइज्जत किया गया, क्योंकि उसने राष्ट्रभाषा हिन्दी में शपथ ली, फिर भी अपराधी विधायक आजाद हैं। केवल मात्र उन्हें चार वर्ष के लिये सदस्यता से निलम्बित कर दिये जाने मात्र से कुछ नहीं होने वाला है। इस घटना को लेकर देश के लोगों में भयंकर गुस्सा है और यदि हम ऐसे अपराधियों को इसी प्रकार से छोडते या अनदेखा करते रहेंगे तो इस देश के लोकतन्त्र का क्या हश्र हो सकता है, इसकी कल्पना करना ही भयावह है!


माना कि विधायकों को विधानसभा में संविधान द्वारा कुछ विशेषाधिकार दिये गये हैं, जिसके कारण विधानसभा की घटनाओं के बारे में सामान्य प्रशासन एवं पुलिस में किसी प्रकार की कानूनी एवं दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की जाती है। परन्तु हमें यह देखना होगा कि हमारे संविधान में विधायकों एवं सांसदों को सदन में विशेषाधिकार प्रदान करने के पीछे वजह क्या थी? क्या संविधान निर्माताओं ने कभी कल्पना की होगी कि एक संविधान के विरुद्ध काम करने वालों को उनका बनाया गया संविधान ही संरक्षण प्रदान करेगा। विशेषाधिकार की व्यवस्था मूलतः लोकतन्त्र को मजबूती प्रदान करने के लिये की गयी थी। जन प्रतिनिधियों को जनता के हितों की सुरक्षा के लिये पूरी आजादी के साथ, बिना किसी भय के अपनी बात खुलकर कहने के लिये संविधान में विशेषाधिकारों की व्यवस्था की गयी थी। संविधान निर्माताओं ने तब कल्पना भी नहीं की होगी कि एक विशेषाधिकारों की ओट में लोकतन्त्र के मन्दिरों में अपराधियों द्वारा अपराध किये जायेंगे।


इसलिये संविधान में सम्मानिक विधायकों को प्राप्त विशेषाधिकारों के नाम पर राज ठाकरे के गुण्डाविधायकों के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता के तहत कार्यवाही नहीं करना, बेमानी है। जो लोग खुद ही संविधान का सम्मान नहीं करते, उनके अधिकारों की परवाह क्यों की जाये?


आज उन्होनें अबु आजमी के खिलाफ शर्मनाक बदसलूकी की है, कल को कोई विधायक, किसी अन्य विधायक की विधानसभा में हत्या कर देगा, क्या तब भी विशेषाधिकार के नाम पर केवल विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय ही मान्य होगा। जो लोग लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन कर चुके हैं, उन्हें आम अपराधी की भांति सजा मिलनी ही चाहिये। ऐसे लोगों के लिये हमारे देश, समाज और संविधान में कोई विशेष स्थान नहीं होना चाहिये। इन लोगों को कारागृह में डाला जाना ही एक मात्र वैधानिक उपचार है। जिसमें की जा रही देरी इस देश के हालातों को बद से बदतर ही कर रही है।


जहाँ तक राज ठाकरे एवं उनकी पार्टी के कुकृत्यों से निपटने का सवाल है तो बेहतर होगा कि समय रहते सरकार को चुनाव आयोग से परामर्श करके महाराष्ट्र नव निर्माण सेना की मान्यता को ही समाप्त कर दिया जाना चाहिये। और राज ठाकरे सहित, असंवैधानिक कुकृत्यों में लिप्त सभी विधायकों को 20 वर्ष तक मतदान करने के एवं चुनाव लडने के अधिकार से वंचित कर दिया जाना चाहिये।


यदि ऐसा नहीं किया गया तो इस देश के लिये यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण होगा। ऐसे तत्व देश के बंटवारे का कारण सिद्ध हो सकते हैं और तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। अतः तत्काल कठोर निर्णय लेने की जरूरत है।
लेखक भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संसथान बास के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

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